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Wednesday, March 27, 2013

हासिल



पानी पर चलते तूने क्या हासिल किया
रैत में तैरते तूने क्या हासिल किया
जिंदगी जीते हैं हर लम्हे मगर खून पीके क्या हासिल किया

हर पल संघर्ष है
हर दिन खुद से लड़ते हुए
एक पल की खुशी के लिये  चल रहा क्या हासिल किया
मौत तो एक पल के नज़र में थी पर ज़िंदगी से चेहरा छुपाते क्या हासिल किया

कुछ कर गुजरने की चाहत में क्या हासिल किया
शायद एक लम्हा और जी लेते तो आज मौत यहाँ ना पूचति की आखीर क्या हासिल किया

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